*पापा के लिए कविता पापा तुम नहीं हो आज मेरे पास पर तुम्हारा चश्मा आज भी है मेरे पास तुमने मुझे दुनियादारी के जो भी खेल सिखाये मै उन्हें खेलता हूँ पूरे सलीके से। पापा तुम किताबों में बसे हो खुशबू की तरह डायरी में दबे हो तितली की तरह खतों में सुगबुगा रहे हो पापा तुम हो यही हो मेरे आसपास... किसी के पापा कभी नहीं मरते पापा बीज होते हैं ©Ajamil vyas #कविता पापा के लिए #Drops