उसका मकान था मेरे कॉलेज की राह में मेरी ज़िन्दगी में बहुत सी मजहबी दूरिया थी मै पॉचो वक़्त का नमाजी मुसलमान था वो एक पूजा पाठ करने वाली हिन्दू थी मैं किसी मस्जिद का बुलन्द हुई अजान था वो किसी मन्दिर की बुलन्द हुई आरती थी मै टोपी सर पे लगाए हुए मुसलमान था वो गले में डाले हुए जनेऊ धारी हिन्दू थी मै कुरान पाक की पढी आयत था वो गीता की पढी श्लोक थी मै बुजुर्गो का फरमाई हुआ सलाम था वो बडो का नमन की हुई नमस्कार थी मजहब और नफरत के इस दौर में मै एक मुसलमान था वो एक हिन्दू थी मुहब्बत के राह मे मै भी इंसान था वो भी इंसान थी खुदा को मेरी और उसकी मुहब्बत ना मंजूर थी मै एक मुसलमान था वो एक हिन्दू थी खुदा का यही फरमान था मेरा और उसका जुदा होना था एक दूसरे के नसीब का लिखा हुआ था मजहब की वजह से मै उससे दूर हुआ वो मुझसे दूर हुई मै उसको अपना बनाने के लिए तैयार था लेकिन उसकी तरफ से इंकार था लेकिन उसका ये फरमान था कुर्बान कर दूँगी अपनी और तेरी मुहब्बत को अपने माँ बाप की इज्जत को नीलाम ना होने दूँगी इसी वजह से हम एक दूसरे से मुहब्बत में जुदा हो गए ना मै बेवफा था ना वो बेवफा थी इस तरह से हमारी ज़िन्दगी अलग अलग हो गई बस यही हम दोनो की मुहब्बत की दास्तान थी मै एक मुसलमान था वो एक हिन्दू थी ! Abdul Kadir Raebarelvi 21/8/2019 ©Abdul Kadir Raebarlevi #Love nojoto hindi nojoto hindi