मेघो की गर्जन से , गीतो के सृजन से । रूदें गले की तर्जन से मोती बिखरे दर्जन से । बारिश के पैरहन से यादो के सतरंग से। खामोशी मांझन से वाह वाह और अर्जन से ।। मंजिल बिल्कुल सीधी है । बस तुम तक अपनी परिधि है ।। गंगवार अनिल #NojotoQuote शायरी