कस्बों शहरों में छाई काला बाजारी है, हर तरफ बस महंगाई की मारामारी है। सड़कों पर हर तरफ सिर्फ सैन्य अधिकारी है। हाय! कोराना ये कैसी महामारी है। कितने बुरे दौर से मेरा देश गुजरता जा रहा है। हाय! मेरा देश किस कदर बदलता जा रहा है।। - आलोक कुशवाहा ** FULL PIECE IN THE CAPTION ** "कोराना : एक महामारी "(part 2) . मेरा देश किस कदर बदलता जा रहा है यूं जंग तो छिड़ी कोराना से है, पर शायद भुखमरी से जलता जा रहा है। पलायन कर रहे है लोग अपने घरों को, दो वक्त की रोटी तो दूर की बात है, घर पहुंचाए कोई साधन भी ना मिल पा रहा है।