रैना सावन के आगोश में, फिर भी इक प्यास बाकी है, इस बार रैन में, राहें सभी मुकम्मल है बस इक तलाश बाकी है, इस बार रैन मे, मकां भी है, बसेरा भी है, इक साथ बाकी है, इस बार रैन में , अल्फ़ाज़ कई बिखरे सिमटे से,इक साज बाकी है, इस बार रैन में, आ गया अब मीत मेरा, बस श्रृंगार बाकी है , इस बार रैन मे, सावन के आगोश में ,फिर भी एक प्यास बाकी है, इस बार रैन में #raina #रैना #WOD #challange #poetry #poem