हर धूप ताव सी लगती हैं, एक लाव उज्ज्वल ज्वाला सी धधकती है, मन बेचैन सब कुछ हारे थका पड़ा है, दुनियां कुछ यूं बेरंग सी दिखती है, नींद अब आंखे बंद करने पर कहां लगती है, मां तेरी गोद मुझे बहुत खलती है, एक तुफ़ान मन में रह-रह कर उठता है, एक दीया रोज़ जैसे पेशानी पर जलता है, कुछ ख़्वाब है जो बेवजह अखरता हैं, पूरा होने के लिए अब वो मुझसे बेवजह लड़ता है, पूछता है अब भी पता सुकून का, तेरे तस्वीर पर आ के ठहरता है, एक सवाल रोज़ मन में उठता है, भगवान क्यों अच्छे लोगों के साथ ही ऐसा करता है। हर धूप ताव सी लगती हैं, एक लाव उज्ज्वल ज्वाला सी धधकती है, मन बेचैन सब कुछ हारे थका पड़ा है, दुनियां कुछ यूं बेरंग सी दिखती है, नींद अब आंखे बंद करने पर कहां लगती है, मां तेरी गोद मुझे बहुत खलती है, एक तुफ़ान मन में रह-रह कर उठता है, एक दीया रोज़ जैसे पेशानी पर जलता है,