तो अल्फाज़ों का सफ़र रोक दिया था हमने,
किसकी गलती, किसकी सजा, हर चीज़ का कसूरवार ख़ुद को ठेहराया था हमने,
उलझना सुलझना सब तो जैसे खेल सा था,
इन खूबसूरत चाँद से जैसे दिल को कोई बैर सा था,
क्या बताते और क्या बताते की अंधेरा हमे खौफ़ सा था,
बातों का दौर कुछ अजीब सा था, दिल कुछ नासमझ सा था, दिमाग कुछ रूठा सा था, हमारा शोर खामोशी सा था,
और हमारी खामोशी का सफ़र मौत सा था!!! #yqbaba#yqdidi#yqhindi#yqquotes#harshRwriting#harshRkecaptionwalepost