ये क्या है, जो आँखों से रिसता है, कुछ है भीतर, जो यूँ ही दुखता है, कह सकता हूं, पर कहता भी नहीं, कुछ है घायल, जो यहाँ सिसकता है। अरूण सनाढय लाइम लाइट