"सच-झूठ" सच-झूठ की कशमकश में उलझी रही दुनिया सारी सच का बड़ा लबादा ओढ़ सफ़र करता रहा झूठ दुनिया सारी झूठ को आईना दिखा सच का वह आजीवन झेलता रहा तोहमतें सारी अजीब निकला ज़माने का यह दस्तूर झूठे को मिलती रही सारी वाह-वाही कहने को तो सच का साथ दिया पंक्ति में आगे कर दिया झूठ का पुजारी बड़ी उलझन होती देख जनता की बेचारगी सच-झूठ में से किसको चुने यह बड़ी लाचारी! 🌹 "सच-झूठ" सच-झूठ की कशमकश में उलझी रही दुनिया सारी सच का बड़ा लबादा ओढ़ सफ़र करता रहा झूठ दुनिया सारी झूठ को आईना दिखा सच का