Happy New Year बचपन से सुनता आ रहा हूँ 2nd class से दोस्तो के लिये लिख कर शायरी और दिल का आकर काट कर एक कार्ड बनाता आ रहा हूँ धीरे धीरे नया साल कम मनाता जा रहा हूँ अब ना दोस्त आते है साल मनाने ना साल मनाने का शौक रहा है अब बिस्तर में बैठे बैठे नया साल मुबारक लिखते है वैसे तो अपनी शायरी मैं खुद को बेवफा बताता आ रहा हूँ धीरे धीरे नया साल कम मनाता जा रहा हूँ अब बिस्तर प्यार है मुझे उस काली रात से नफरत सी है मुझे दिसंबर की हर रात से सुबह उठकर दिन को फिर से एक जैसा जिये आ रहा हूँ धीरे धीरे नया साल कम मनाता जा रहा हूँ Ritika suryavanshi