दर्द को कब परवाह तुम कांटा या ग़ुलाब हो झूठ की मीठी ख़ुराक से तो सच की कड़वी गोलियां ही अच्छी हैं हर हमराज़ हमनवा बने ये मुमकिन कहां नकाब के पीछे छिपे चेहरों से तो पीठ पे छूरियां ही अच्छी हैं... सच तो यही है तन्हा होकर जिया नहीं जाता। #सचहै #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi