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#OpenPoetry ये इश्क मेरा खत्म न होगा बेशक मंजिलें

#OpenPoetry ये इश्क मेरा खत्म न होगा
बेशक मंजिलें एक न हो सकी
लेकिन ये इश्क कम न होगा
तंहा था मै पहले अब तंहा नही हूँ
माना आती नही है अब तू
पर मै रहता आज भी उसी गली हूँ
कुछ तो खास रहा होगा 
जो बाकी मेरे अंदर आज भी
तेरे होने का एहसास रहा होगा
कभी कभी थोड़ा बहक जाता हूँ
देख तेरी तस्वीर को 
तेरी खातिर फिर से सम्हल जाता हूँ
मिलने का तुझसे कोई ख्वाब नही है
तू तो मेरे ही अंदर रहती है
इसलिए बाकी कोई मलाल नही है
कैसे कह दूँ तू मेरे आस पास नही है
तेरे न होने जैसी कोई बात नही है
तेरे होने न होने पर 
ये कोई बाजिव सवाल नही है
अक्सर तो तू चली आती है
मेरे अल्फाजों मे मेरे शब्दों मे
तू ही तू तो नजर आती है
मेरी साँसों मे मेरी रूह मे
तू शामिल है इस कदर कि
अंजान को और अंजान बनाती है..........

#अंजान..... ये इश्क मेरा खत्म न होगा
बेशक मंजिलें एक न हो सकी
लेकिन ये इश्क कम न होगा
तंहा था मै पहले अब तंहा नही हूँ
माना आती नही है अब तू
पर मै रहता आज भी उसी गली हूँ
कुछ तो खास रहा होगा 
जो बाकी मेरे अंदर आज भी
#OpenPoetry ये इश्क मेरा खत्म न होगा
बेशक मंजिलें एक न हो सकी
लेकिन ये इश्क कम न होगा
तंहा था मै पहले अब तंहा नही हूँ
माना आती नही है अब तू
पर मै रहता आज भी उसी गली हूँ
कुछ तो खास रहा होगा 
जो बाकी मेरे अंदर आज भी
तेरे होने का एहसास रहा होगा
कभी कभी थोड़ा बहक जाता हूँ
देख तेरी तस्वीर को 
तेरी खातिर फिर से सम्हल जाता हूँ
मिलने का तुझसे कोई ख्वाब नही है
तू तो मेरे ही अंदर रहती है
इसलिए बाकी कोई मलाल नही है
कैसे कह दूँ तू मेरे आस पास नही है
तेरे न होने जैसी कोई बात नही है
तेरे होने न होने पर 
ये कोई बाजिव सवाल नही है
अक्सर तो तू चली आती है
मेरे अल्फाजों मे मेरे शब्दों मे
तू ही तू तो नजर आती है
मेरी साँसों मे मेरी रूह मे
तू शामिल है इस कदर कि
अंजान को और अंजान बनाती है..........

#अंजान..... ये इश्क मेरा खत्म न होगा
बेशक मंजिलें एक न हो सकी
लेकिन ये इश्क कम न होगा
तंहा था मै पहले अब तंहा नही हूँ
माना आती नही है अब तू
पर मै रहता आज भी उसी गली हूँ
कुछ तो खास रहा होगा 
जो बाकी मेरे अंदर आज भी