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चार दिन की ज़िंदगी में दिल की ख्वाहिशें बेहिसाब है

चार दिन की ज़िंदगी में दिल की ख्वाहिशें बेहिसाब है,
पल पल बीत रही जिंदगी का ना कहीं कोई हिसाब है।

कहने को तो दुनियाँ में सबकी ही जिंदगी बेहिजाब है,
फिर भी सबके चेहरों पर पड़े यहाँ कई कई नकाब हैं।

सभी की जिंदगी एक अनसुलझी पहेली और सवाल है
जिंदगी की किताब में ही होता हर सवाल का जवाब है।

जिंदगी की एक ख्वाहिश पूरी होती तो दूजी जाग जाती है,
हर ख्वाहिश पूरी हो जाए तो जिंदगी बन जाती नायाब है। ➡ प्रतियोगिता संख्या- 05

➡ शीर्षक:- ख्वाहिशें बेहिसाब

➡ कोई शब्द सीमा नहीं है।

➡ इस प्रतियोगिता में आप सभी को इस शीर्षक पर collab करना है।
चार दिन की ज़िंदगी में दिल की ख्वाहिशें बेहिसाब है,
पल पल बीत रही जिंदगी का ना कहीं कोई हिसाब है।

कहने को तो दुनियाँ में सबकी ही जिंदगी बेहिजाब है,
फिर भी सबके चेहरों पर पड़े यहाँ कई कई नकाब हैं।

सभी की जिंदगी एक अनसुलझी पहेली और सवाल है
जिंदगी की किताब में ही होता हर सवाल का जवाब है।

जिंदगी की एक ख्वाहिश पूरी होती तो दूजी जाग जाती है,
हर ख्वाहिश पूरी हो जाए तो जिंदगी बन जाती नायाब है। ➡ प्रतियोगिता संख्या- 05

➡ शीर्षक:- ख्वाहिशें बेहिसाब

➡ कोई शब्द सीमा नहीं है।

➡ इस प्रतियोगिता में आप सभी को इस शीर्षक पर collab करना है।