मानता हूँ कि थोड़ा हैरत में हूँ, किस ने कहा कि तेरी क़ुर्बत में हूँ, हालात ए सफऱ मुमकिन तो हैं, तूने कहा से सुना कि दहशत में हूँ,, और इतने लतीफ़े काफ़ी नही हैं, तुझे लगता है कि में उल्फत में हूँ व वो शब्द मेरे थोड़ी न थे कभी, फिर तुझे क्यो लगा कि मैं नफ़रत में हूँ, हर बार नाम लेने से मोहित थोड़ी न हो जाओगी, कभी मेरी आँखों को पढ़ो मैं तो तेरी फ़ितरत में हूँ,, #Qurbat....