जो मैं इतने दिन मशगूल रहा, उनसे गुफ्तगू फरमाता रहा। नाज़नीं के बालों के ख़म निकाले कभी, कभी नाज़नीं के आंखों में काजल लगाता रहा। कुछ घंटों हसीना से मोहब्बत की, तो कुछ लम्हें हसीना के हुस्न को सराहा। हम दोनों मुब्तिला इस क़दर मोहब्बत में, वक़्त पता ही न चला कैसे गुज़रता रहा। जो मैं इतने दिन मशगूल रहा, उनसे गुफ्तगू फरमाता रहा। ~Hilal #Mashgool