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पान की दूकान हास्य व्यंग्य कभी जब आपकी ज्ञान की इन

पान की दूकान
हास्य व्यंग्य कभी जब आपकी ज्ञान की इन्द्रियाँ कमज़ोर हो जायें तो किसी पान की दूकान पर कुछ समय व्यतीत करना शुरू कर दीजियेगा। कसम से  आपकी सभी इन्द्रियाँ वापस जीवित हो जायेंगीं। एक तरह से मर्दों की kitty party चलती है यहाँ।ये एक open cafe है।यहाँ आप खरीदते तो सिगरेट, बीड़ी या पान हैं परन्तु साथ में ज्ञान complimentry मिलता है।पूरा खान पान चलता है यहाँ खुल्ले में,और discussions तो पूछिये मत,इतना तो parliament में नहीं होता जितना यहाँ होता है। हर चीज़ का समाधान भी हाथों हाथ होता है यहाँ जनाब।
सुबह सुबह धार्मिक लोग आते हैं और ढेर सारा धर्म पर ज्ञान दे कर जाते हैं।फिर शुरू होने लगता है उनका आवागमन जो सबसे ज़्यादा वेल्ले होते हैं पर खुद को super intelligent समझते हैं।ये ज़्यादातर 40 से 60 वर्ष के पुरुष होते हैं।इनकी  सड़क पर जाती महिलाओं के वक्षस्थल पर बड़ी पैनी नज़र होती है।अलग अलग महिलाओं को ताड़कर इनके भाव भी अलग अलग होते हैं।ज़ुबाँ से ज़्यादा इनकी आंखें बोलती हैं।नारी को किस तरह रहना चाहिये सबसे ज़्यादा lecture इस तरह के पुरुष देते हैं।जो जितना बड़ा characterless होता है वो उतनी ज़्यादा हम औरतों के character की बात करता है।
और हाँ हमारे पनवाड़ी जी की तो बात ही मत पूछिये।जवान बच्चों को किस तरह से सिगरेट,गुटखा या कोई नशा बेचना है इसमें ये माहिर होते हैं। बस इशारों इशारों में सब बेच देते हैं।
शाम को cold drink में शराब डाल कर बहुत से पुरुष मिलेंगे। भाई पुरुषों को तो सब माफ़ हैं न यहाँ।मनचले तो पूरा degree course करके जाते हैं यहाँ से।
और हाँ अरे अरे.....इन जनाब को मैं कैसे भूल गयी।अपने पायजामे के ऊपर से अपना लिंग खुजाते खुजाते देश को सुधारने के क्या क्या इलाज़ हैं इस पर भरपूर चर्चा करते हैं।दिल करता है कह दूँ भाई पहले अपने चर्म रोग का इलाज कर लो फ़िर देश का भी इलाज कर लेना। देश भला कहाँ भागा जा रहा है।
पान की दूकान
हास्य व्यंग्य कभी जब आपकी ज्ञान की इन्द्रियाँ कमज़ोर हो जायें तो किसी पान की दूकान पर कुछ समय व्यतीत करना शुरू कर दीजियेगा। कसम से  आपकी सभी इन्द्रियाँ वापस जीवित हो जायेंगीं। एक तरह से मर्दों की kitty party चलती है यहाँ।ये एक open cafe है।यहाँ आप खरीदते तो सिगरेट, बीड़ी या पान हैं परन्तु साथ में ज्ञान complimentry मिलता है।पूरा खान पान चलता है यहाँ खुल्ले में,और discussions तो पूछिये मत,इतना तो parliament में नहीं होता जितना यहाँ होता है। हर चीज़ का समाधान भी हाथों हाथ होता है यहाँ जनाब।
सुबह सुबह धार्मिक लोग आते हैं और ढेर सारा धर्म पर ज्ञान दे कर जाते हैं।फिर शुरू होने लगता है उनका आवागमन जो सबसे ज़्यादा वेल्ले होते हैं पर खुद को super intelligent समझते हैं।ये ज़्यादातर 40 से 60 वर्ष के पुरुष होते हैं।इनकी  सड़क पर जाती महिलाओं के वक्षस्थल पर बड़ी पैनी नज़र होती है।अलग अलग महिलाओं को ताड़कर इनके भाव भी अलग अलग होते हैं।ज़ुबाँ से ज़्यादा इनकी आंखें बोलती हैं।नारी को किस तरह रहना चाहिये सबसे ज़्यादा lecture इस तरह के पुरुष देते हैं।जो जितना बड़ा characterless होता है वो उतनी ज़्यादा हम औरतों के character की बात करता है।
और हाँ हमारे पनवाड़ी जी की तो बात ही मत पूछिये।जवान बच्चों को किस तरह से सिगरेट,गुटखा या कोई नशा बेचना है इसमें ये माहिर होते हैं। बस इशारों इशारों में सब बेच देते हैं।
शाम को cold drink में शराब डाल कर बहुत से पुरुष मिलेंगे। भाई पुरुषों को तो सब माफ़ हैं न यहाँ।मनचले तो पूरा degree course करके जाते हैं यहाँ से।
और हाँ अरे अरे.....इन जनाब को मैं कैसे भूल गयी।अपने पायजामे के ऊपर से अपना लिंग खुजाते खुजाते देश को सुधारने के क्या क्या इलाज़ हैं इस पर भरपूर चर्चा करते हैं।दिल करता है कह दूँ भाई पहले अपने चर्म रोग का इलाज कर लो फ़िर देश का भी इलाज कर लेना। देश भला कहाँ भागा जा रहा है।

कभी जब आपकी ज्ञान की इन्द्रियाँ कमज़ोर हो जायें तो किसी पान की दूकान पर कुछ समय व्यतीत करना शुरू कर दीजियेगा। कसम से आपकी सभी इन्द्रियाँ वापस जीवित हो जायेंगीं। एक तरह से मर्दों की kitty party चलती है यहाँ।ये एक open cafe है।यहाँ आप खरीदते तो सिगरेट, बीड़ी या पान हैं परन्तु साथ में ज्ञान complimentry मिलता है।पूरा खान पान चलता है यहाँ खुल्ले में,और discussions तो पूछिये मत,इतना तो parliament में नहीं होता जितना यहाँ होता है। हर चीज़ का समाधान भी हाथों हाथ होता है यहाँ जनाब। सुबह सुबह धार्मिक लोग आते हैं और ढेर सारा धर्म पर ज्ञान दे कर जाते हैं।फिर शुरू होने लगता है उनका आवागमन जो सबसे ज़्यादा वेल्ले होते हैं पर खुद को super intelligent समझते हैं।ये ज़्यादातर 40 से 60 वर्ष के पुरुष होते हैं।इनकी सड़क पर जाती महिलाओं के वक्षस्थल पर बड़ी पैनी नज़र होती है।अलग अलग महिलाओं को ताड़कर इनके भाव भी अलग अलग होते हैं।ज़ुबाँ से ज़्यादा इनकी आंखें बोलती हैं।नारी को किस तरह रहना चाहिये सबसे ज़्यादा lecture इस तरह के पुरुष देते हैं।जो जितना बड़ा characterless होता है वो उतनी ज़्यादा हम औरतों के character की बात करता है। और हाँ हमारे पनवाड़ी जी की तो बात ही मत पूछिये।जवान बच्चों को किस तरह से सिगरेट,गुटखा या कोई नशा बेचना है इसमें ये माहिर होते हैं। बस इशारों इशारों में सब बेच देते हैं। शाम को cold drink में शराब डाल कर बहुत से पुरुष मिलेंगे। भाई पुरुषों को तो सब माफ़ हैं न यहाँ।मनचले तो पूरा degree course करके जाते हैं यहाँ से। और हाँ अरे अरे.....इन जनाब को मैं कैसे भूल गयी।अपने पायजामे के ऊपर से अपना लिंग खुजाते खुजाते देश को सुधारने के क्या क्या इलाज़ हैं इस पर भरपूर चर्चा करते हैं।दिल करता है कह दूँ भाई पहले अपने चर्म रोग का इलाज कर लो फ़िर देश का भी इलाज कर लेना। देश भला कहाँ भागा जा रहा है।