मतला ए सुब्हा में छिपता हुआ वो चांद, ख़ंदा-ए-आफ़ताब का हो फ़ज़ल जैसे..!! फ़सील-ए-शहर :- boundary of the city, सुकूत-ए-शाम :- quiet of evening, आफ़ाक़ :- क्षितिज मतला ए सुबह: क्षितिज में उगती हुई सुबह ख़ंदा-ए-आफ़ताब: निकलता हुआ सूरज OPEN FOR COLLAB✨ #eveningbg • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨