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आवारा सपने ........................ ले जाते हैं मु

आवारा सपने
........................
ले जाते हैं मुझे
कहीं दूर किसी अपरचित सी
परिचित दुनिया में।
वहाँ केवल मैं होता हूँ
मेरी इच्छाओं की हवा बहती है
हर एक शै बस मुझसे कहती है
निराकार के साकार होने की कहानी।
कुछ पुराने जर्जर ख़यालों के कंगूरे
मुझपे अक़्सर टूट कर गिर जाते हैं
मैं कराह लेते उठ जाता हूँ।
कोशिश करता हूँ फिर से सोने की
ताकि ख़त्म कर दूँ अपने दर्द सारे
लेकिन फिर से वह सब नहीं दिखता
ओझल हो जाता है।
मुद्दतों से ओझल होते मेरे आवारा सपने
कभी मन्ज़िल तक नहीं जाते। आवारा सपने
........................
ले जाते हैं मुझे
कहीं दूर किसी अपरचित सी
परिचित दुनिया में।
वहाँ केवल मैं होता हूँ
मेरी इच्छाओं की हवा बहती है
हर एक शै बस मुझसे कहती है
आवारा सपने
........................
ले जाते हैं मुझे
कहीं दूर किसी अपरचित सी
परिचित दुनिया में।
वहाँ केवल मैं होता हूँ
मेरी इच्छाओं की हवा बहती है
हर एक शै बस मुझसे कहती है
निराकार के साकार होने की कहानी।
कुछ पुराने जर्जर ख़यालों के कंगूरे
मुझपे अक़्सर टूट कर गिर जाते हैं
मैं कराह लेते उठ जाता हूँ।
कोशिश करता हूँ फिर से सोने की
ताकि ख़त्म कर दूँ अपने दर्द सारे
लेकिन फिर से वह सब नहीं दिखता
ओझल हो जाता है।
मुद्दतों से ओझल होते मेरे आवारा सपने
कभी मन्ज़िल तक नहीं जाते। आवारा सपने
........................
ले जाते हैं मुझे
कहीं दूर किसी अपरचित सी
परिचित दुनिया में।
वहाँ केवल मैं होता हूँ
मेरी इच्छाओं की हवा बहती है
हर एक शै बस मुझसे कहती है