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मन की भावनाएं उमड़ कर जब जुबां पर आती हैं। पकड़ कल

मन की भावनाएं उमड़ कर जब जुबां पर आती हैं।
पकड़ कलम ये उंगलियां पन्नों पर चल जाती हैं।
हम तो यूं हीं लिख देते हैं मन की वेदनाओं को,
पता नहीं वो जाने कैसे इक कविता बन जाती है।

©Shivani Omer #man#mankivedna#kavitaimage
मन की भावनाएं उमड़ कर जब जुबां पर आती हैं।
पकड़ कलम ये उंगलियां पन्नों पर चल जाती हैं।
हम तो यूं हीं लिख देते हैं मन की वेदनाओं को,
पता नहीं वो जाने कैसे इक कविता बन जाती है।

©Shivani Omer #man#mankivedna#kavitaimage
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Shivani

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