तन्हाई में कैसे तन्हाई में कैसे जी रहा हूँ सनम, हर दिन मैं आपके बिना, अभी तक प्राण मेरे क्यूँ नहीं निकले, वियोग मे आपके बिना । आपकी दुआएँ मुझे कब तक और जीवित रख सकेंगी, मेरी भावनाओं की अब, कद्र कौन करेगा आपके बिना । कैसे गुजरती होगीं मेरी रातें और कैसे गुजरता होगा मेरा दिन, कोई ऐसा पल नहीं होता, जो हम आपको याद ना करें प्रतिदिन । जल्दी से आकर गले लग जाइये, हमें मिले बीत गए हैं कई दिन, क्या मुझे अपनी आस में यूँ ही तड़पाती रहेंगी, हरपल हर दिन । आप अगर मुझसे मिलोगी, अकेलेपन का कुछ प्रतिशत तो कम होगा, आपको अपने सामने देखकर, मेरा मन भी तो कुछ हल्का होगा । काफी समय पहले आपको, मैंने जी भरकर कभी देखा होगा, फिर कब आएगा वो दिन, जब हमारा और आपका मिलन होगा । है ये कैसी मोहब्बत आपकी, या फिर इम्तिहान ले रही हैं, बहुत आजमाने के बाद भी मुझे, दर्शन क्यूँ नहीं दे रही हैं । अब और समय बर्बाद ना करें, कल है किसने देखा, मैं रहूँ या ना रहूँ फिर, मिट जाए मेरे भाग्य की रेखा । - Devendra Kumar (देवेंद्र कुमार) # तन्हाई में कैसे