दिल नहीं संभल रहा है। तेरी यादों को कैसे मैं दिल से निकालूँ ? मार डालूँ खुद को, या कहीं और दिल लगा लूँ? कुछ पागलपन-सा अंदर मेरे चल रहा है मेरा दिल, अब मुझसे नहीं संभल रहा है। Read Full poetry in caption... 💔दिल नहीं संभल रहा है।💔 तेरी यादों को कैसे मैं दिल से निकालूँ ? मार डालूँ खुद को, या कहीं और दिल लगा लूँ? कुछ पागलपन-सा अंदर मेरे चल रहा है मेरा दिल अब मुझसे नहीं संभल रहा है। तेरी बाट जोहता हूँ, मैं बैठ कर निकम्मा।