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शौक- ए- सफ़र कुछ ऐसा है कि बस चलते हैं न रस्ते की

शौक- ए- सफ़र कुछ ऐसा है कि बस चलते हैं
न रस्ते की खबर न मंज़िल का पता है
रस्ते और मंज़िल के बीच ही कँही
ज़िन्दगी यह गुमशुदा है!

©Bandhana Singh ( मेरे अल्फाज़) #Poetry #Shayari  #safar #Zindagi #manzil 

#Starss
शौक- ए- सफ़र कुछ ऐसा है कि बस चलते हैं
न रस्ते की खबर न मंज़िल का पता है
रस्ते और मंज़िल के बीच ही कँही
ज़िन्दगी यह गुमशुदा है!

©Bandhana Singh ( मेरे अल्फाज़) #Poetry #Shayari  #safar #Zindagi #manzil 

#Starss