तेरा चले जाना तकलीफ देता था बहुत, अब मगर कुछ महसूस नहीं होता, न जानें क्यों?! बरसो की थी मिन्नतें की तुझसे फ़र्क़ न पड़े, अब जो वो नहीं पड़ता तो कोई सुकून भी नहीं मिलता न जाने क्यों?! हर रोज तलाशती थी वो कोना जहाँ यादें भी न भटके तेरी, अब सारा घरौंदा मेरा है, मगर चैन नहीं पड़ता फिर भी न जाने क्यों?! हर शाम ढूँढती थी वो राहत भरे पल, की मुस्कुरा पाऊँ कभी तो तेरे बिन, अब मगर मुस्कुराने को जी नहीं करता, न जाने क्यों?! हर दोपहर देखती थी घड़ी के काटों को, तुझे भूलने की आस में,अब उनसे मन नहीं बहलता न जाने क्यों?! हर सुबह चाहती थी न आये तेरी याद आज मुझे , अब जो नहीं आती तो दिन नहीं गुजरता न जाने क्यों?! हर रात लड़ती थी तन्हाई से, की आँसूं ना लाये फिर से वो आँखों में मेरी, और अब रोये बिना दिल को राहत नहीं पड़ता, न जाने क्यों?! Thought of a girl.....after move on ये फर्क़ जो पड़ता है ना, ये हमे उबरने नहीं देता पर जीवित व्यक्ती की, एक अनैच्छिक क्षमता भी है, जो हमे हमारे रास्ते के पथ प्रदर्शन में सहायक होती है ताकि फिर से वो गलती ना हो 🙂 #yqbaba #yqdidi #reality #sad