जीवन रूपी पिंजरे से आजाद हो जाना चाहती हूं,, पाया तो कुछ भी नही,, फिर भी पाने की सारी उम्मीद छोड़ देना चाहती हूं,,, थक गई हूं अब चला नही जा रहा,, अब बस यही रुक जाना चाहती हूं,,, ©Nishi #Winters रुक जाना चाहती हूं