Alone आज मैने सूर्य से बस जरा-सा यों कहा- आपके साम्राज्य मे इतना अँधेरा क्यों रहा? तमतमाकर वह दहाडा--मै अकेला क्या करूँ? तुम निकम्मों के लिये मै ही भला कब तक मरूँ? आकाश की आराधना के चक्करों मे मत पडो संग्राम यह घनघोर है, कुछ मै लड़ूँ, कुछ तुम लड़ो !! full in caption हैं करोडों सूर्य लेकिन सूर्य हैं बस नाम के, जो न दे हमको उजाला, वे भला किस काम के? जो रात भर जलता रहे उस दीप को दीजै दुआ सूर्य से वह श्रेष्ठ है, क्षुद्र है तो क्या हुआ! वक्त आने पर मिला लें हाथ जो अँधियार से संबंध कुछ उनका नही है सूर्य के परिवार से! देखता हूँ दीप को और खुद मे झाँकता हूँ मैं