जीवन काे जीवंत करे जाे, अपने लहू से राेज सींचकर, एक शिशु काे जैसे मां पालती, ऐसे ही फसलाें काे पाले किसान!! सूर्याेदय की लालिमा किरण से, सूर्यास्त की दिखती आभा तक, अपना पलपल खेताें में गुजार कर, ऐसे ही फसलाें काे पाले किसान!! माैसम की मार निरंतर झेलकर , खेती हाेती है जुआ का परिणाम, खुदा से लड़कर जाे बीच में प्राण है भरते, ऐसे ही फसलाें काे पाले किसान!! फसल बेचने की जब बारी आए, मूल्य गिर जाती बाजाराें में शरेआम, कर्ज के बाेझ में दब प्राण गवांकर, ऐसे ही फसलाें काे पाले किसान!! एक कहावत है बड़ी पुरानी, दाने-दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम, उस दाने पर न जाने कितने जान गवांते, आज भी है हमारे देश के भाेले भाले किसान!! 🖊राैशन ©Hindi kavita BY Raushan kashyap #किसान #कविता #कवि #Shayari #शायरी #poem #poet #poetrty