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उस अजनबी सफर में , एक शख्सियत खुदा की मिली , चेहरे

उस अजनबी सफर में ,
एक शख्सियत खुदा की मिली ,
चेहरे की मासूमियत,
आंखों की चमक ,
सबसे ज्यादा अपनी ओर आकर्षित करने वाली ,
उसकी बातें,
सच में बहुत ही अलग सी थी वो ,
स्वभाव से चंचल और वाणी से मधुर,
 मानो उसके रहते सफर मुश्किल से मुश्किल 
आसान लगने लगे ,
मेने उसे तब और भी करीब से जाना,
जब मेरी बाते उससे हुई,
वैसे तो उस रेल की बॉगी में भीड़ बहुत थी,
लेकिन जहा सब अपनी जगह बना रहे थे 
जगह के लिए एक दूसरे को धकेल रहे थे ,
उसने मुझे देखा और कहा आप अपना बैग मेरे पैरो पर रख लो,
आप परेशान हो रही होंगी,
यही तक काफी नहीं था  कुछ वक्त लेकर 
उसने मुझे खड़ी होकर अपनी जगह दी ,
यकीन करना मुश्किल हो रहा था,
लेकिन वो मुझसे दोस्ती का रिश्ता बना चुकी थी ,
और आसानी से धीमी आवाज में कहनी लगी,
में बैठे बैठे थक गई हूं,
आप मेरी सीट ले लो ,
 जितनी उसकी सूरत अच्छी थी ,
उससे भी ज्यादा खुबसुरत थी उसकी सीरत ,
सच कहूं तो में पहली बार ही मिली हूं ऐसी शख्सियत से,
यूं तो २ दिन बीत चुके है उस सफर को ,
लेकिन उसकी एक एक बात उसका चेहरा 
और उसका वो चंचलता भरा स्वभाव
 कुछ यूं बस सा गया है मेरे मन में ,
जैसे जब तब में उसको अपनी डायरी के पन्नों में
 लफ्ज़ दर लफ्ज़ लिख ना लू,
ना तो मेरे मन को सुकून मिलेगा और ना ही मेरे हाथों को,
सच में कभी कभी  कुछ लोग बहुत कुछ सीखा जाते है ,
 ज़िंदगी जीने का सही ढंग कह लो ,
या फिर दुनिया को देखना एक नए नजरिए से ,,

©Monika Dhangar(RaahiKeAlfaaz) #सफर#एक #अजनबी#खुबसुरत#life#experience#story#poetry#raahikealfaaz

#Flower
उस अजनबी सफर में ,
एक शख्सियत खुदा की मिली ,
चेहरे की मासूमियत,
आंखों की चमक ,
सबसे ज्यादा अपनी ओर आकर्षित करने वाली ,
उसकी बातें,
सच में बहुत ही अलग सी थी वो ,
स्वभाव से चंचल और वाणी से मधुर,
 मानो उसके रहते सफर मुश्किल से मुश्किल 
आसान लगने लगे ,
मेने उसे तब और भी करीब से जाना,
जब मेरी बाते उससे हुई,
वैसे तो उस रेल की बॉगी में भीड़ बहुत थी,
लेकिन जहा सब अपनी जगह बना रहे थे 
जगह के लिए एक दूसरे को धकेल रहे थे ,
उसने मुझे देखा और कहा आप अपना बैग मेरे पैरो पर रख लो,
आप परेशान हो रही होंगी,
यही तक काफी नहीं था  कुछ वक्त लेकर 
उसने मुझे खड़ी होकर अपनी जगह दी ,
यकीन करना मुश्किल हो रहा था,
लेकिन वो मुझसे दोस्ती का रिश्ता बना चुकी थी ,
और आसानी से धीमी आवाज में कहनी लगी,
में बैठे बैठे थक गई हूं,
आप मेरी सीट ले लो ,
 जितनी उसकी सूरत अच्छी थी ,
उससे भी ज्यादा खुबसुरत थी उसकी सीरत ,
सच कहूं तो में पहली बार ही मिली हूं ऐसी शख्सियत से,
यूं तो २ दिन बीत चुके है उस सफर को ,
लेकिन उसकी एक एक बात उसका चेहरा 
और उसका वो चंचलता भरा स्वभाव
 कुछ यूं बस सा गया है मेरे मन में ,
जैसे जब तब में उसको अपनी डायरी के पन्नों में
 लफ्ज़ दर लफ्ज़ लिख ना लू,
ना तो मेरे मन को सुकून मिलेगा और ना ही मेरे हाथों को,
सच में कभी कभी  कुछ लोग बहुत कुछ सीखा जाते है ,
 ज़िंदगी जीने का सही ढंग कह लो ,
या फिर दुनिया को देखना एक नए नजरिए से ,,

©Monika Dhangar(RaahiKeAlfaaz) #सफर#एक #अजनबी#खुबसुरत#life#experience#story#poetry#raahikealfaaz

#Flower