कतरा कतरा महकी धूप तेरी ख़ुश्बू कहती है और नदी भी सोना बनकर रंग तेरे ही बहती है पेड़ों पर पाखी भी सारे तेरे ही सुर गाते हैं गुल सारे तेरे सज़दे में हर पल जो मुस्काते हैं कहाँ नहीं तू बन कर नेमत मेरे दिल में रहती है कतरा कतरा महकी धूप तेरी ख़ुश्बू कहती है और पहाड़ों की झीलों पर लिखा जो तेरा नाम है जहाँ सुकूँ की बात चले तो तेरा चर्चा आम है कदम चले जो तेरे ज़ानिब रूह तंज़ भी सहती है कतरा कतरा महकी धूप तेरी ख़ुश्बू कहती है तू दरया है, तू ज़रिया है, डूब के तुझमें जाना है और उफ़क़ के पार जहाँ में खुदको तुझमें पाना है दीवार झूठ की ऊँची ऊँची तेरे सच से ढहती है कतरा कतरा महकी धूप तेरी ख़ुश्बू कहती है कतरा कतरा महकी धूप तेरी ख़ुश्बू कहती है और नदी भी सोना बनकर रंग तेरे ही बहती है उदासियाँ 2 @ तेरी ख़ुश्बू ©Mo k sh K an #Zen #mikyupikyu