रूप की अदा तो हर सूरत में बेमिसाल है। जिसके आगे हमारा दिल हुआ कंगाल है। देखा करते हैं हम उनको ही चोर नज़रों से, बहके हुए हैं कदम और बहकी हुई चाल है। कह देते हैं हम बहुत कुछ अपने ख़्यालों में, दिया करते है हम ज़वाब उनके सवालों के। हकीकत में तो हम चुप रह जाया करते हैं, उनके सामने बोलने की क्या अब मजाल है? उनकी हर अदा का कुछ यूँ असर हुआ हैं। आँखों से उतर कर उन्होंने रूह को छुआ है। फिर भी एक ही पल में हो जाते अंजान हैं। उनकी तीखी नज़रों का ये कैसा मायाजाल हैं? कुछ तो हैं जो इस दिल में हुआ पर्दानशीं, कुछ यगाना सी लग रही है शाम दिलनशीं। हो चली है मुंजमिद आँखों मे नमी जाने क्यों? शायद यही तो उसके इश्क़ के हुए कमाल हैं। ♥️ Challenge-856 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।