सच बताना, कभी रात में रोकर सोये हो क्या? तकिये को आंसू से भिगोकर, सिसकी को होठों से संजोकर, बीते कल में खोए हो क्या? सच बताना, कभी रात में रोकर सोये हो क्या? कड़वाहट भी याद दिलाती, प्रीत की याद अगन बढ़ाती, उन यादों में गोते खाकर, तप्त हृदय जलाये हो क्या? सच बताना,, कभी रात में रोकर सोये हो क्या? #सच बताना