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शब्द कभी-कभी मेरी भावनाओं को भाव नहीं मिलतें कहन

शब्द 

कभी-कभी मेरी भावनाओं को
भाव नहीं मिलतें
कहना चाहता हूँ बहुत कुछ
पर वो शब्द नहीं मिलतें....
कभी-कभी मेरी संवेदनाओं को
अश्रु नहीं मिलतें
ढालना चाहता हूँ रिश्तों को
वो आकार नहीं मिलतें....
कभी-कभी मेरी अनुभूतियों को
स्पर्श नहीं मिलतें
जीवनचित्र में ज्यों मैं
भरना चाहता हूँ वो
अनुठे रंग नहीं मिलतें
कभी-कभी मेरे कुछ प्रश्नों के
जवाब नहीं मिलतें
मन में चलते है अंर्तद्वंद
पर विचार नहीं मिलतें....
कभी-कभी मेरी भावनाओं को
भाव नहीं मिलतें
कहना चाहता हूँ बहुत कुछ
पर वो शब्द नहीं मिलतें....
@शब्दभेदी किशोर

©शब्दवेडा किशोर #ये_जिन्दगी_है_जनाब
शब्द 

कभी-कभी मेरी भावनाओं को
भाव नहीं मिलतें
कहना चाहता हूँ बहुत कुछ
पर वो शब्द नहीं मिलतें....
कभी-कभी मेरी संवेदनाओं को
अश्रु नहीं मिलतें
ढालना चाहता हूँ रिश्तों को
वो आकार नहीं मिलतें....
कभी-कभी मेरी अनुभूतियों को
स्पर्श नहीं मिलतें
जीवनचित्र में ज्यों मैं
भरना चाहता हूँ वो
अनुठे रंग नहीं मिलतें
कभी-कभी मेरे कुछ प्रश्नों के
जवाब नहीं मिलतें
मन में चलते है अंर्तद्वंद
पर विचार नहीं मिलतें....
कभी-कभी मेरी भावनाओं को
भाव नहीं मिलतें
कहना चाहता हूँ बहुत कुछ
पर वो शब्द नहीं मिलतें....
@शब्दभेदी किशोर

©शब्दवेडा किशोर #ये_जिन्दगी_है_जनाब