शब्द कभी-कभी मेरी भावनाओं को भाव नहीं मिलतें कहना चाहता हूँ बहुत कुछ पर वो शब्द नहीं मिलतें.... कभी-कभी मेरी संवेदनाओं को अश्रु नहीं मिलतें ढालना चाहता हूँ रिश्तों को वो आकार नहीं मिलतें.... कभी-कभी मेरी अनुभूतियों को स्पर्श नहीं मिलतें जीवनचित्र में ज्यों मैं भरना चाहता हूँ वो अनुठे रंग नहीं मिलतें कभी-कभी मेरे कुछ प्रश्नों के जवाब नहीं मिलतें मन में चलते है अंर्तद्वंद पर विचार नहीं मिलतें.... कभी-कभी मेरी भावनाओं को भाव नहीं मिलतें कहना चाहता हूँ बहुत कुछ पर वो शब्द नहीं मिलतें.... @शब्दभेदी किशोर ©शब्दवेडा किशोर #ये_जिन्दगी_है_जनाब