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माँ की ममता की छांव में पली, पापा की जैसी मैं गुड़

माँ की ममता की छांव में पली,
पापा की जैसी मैं गुड़ की ढली,
हर शाम आंगन में दिया बन के जली,
मुझे कहीं जाना तो नही था माँ,
फिर क्यूं मैं हूँ तेरा घर छोड़ चली।
कभी बहिनो से लड़ाई तो कभी उनसे प्यार,
नहीं रहेगा क्या ये सब,
क्या हो जाएगा ये उधार?
जो कभी माँ के हाथ का तकिया लगा के सोना,
मेरे कपड़ो में लगे अस्तर में धागे का पिरोना,
मेरी गलतियो पर मुझे सौ बार डांटना,
घर में बनी मिठाई सब में बराबर वांटना,
वो पापा का ऑफिस से लौट के आना,
खाने का भर के झोली साथ में लाना,
पापा, बचपन में मुझे वो कांधे पर उठाना,
पकड़ कर उंगली कदम दस साथ चलाना,
दिल से नेक बड़े सीधे जरूर थे वो,
मैं उठा के सर कहूं मेरे गुरुर थे वो,
हर बात लिख दूंगी स्याही रुके पर हाथ रुकेगा नहीं,
मैं किसी से कर तो लू शादी मगर
पापा से काम मुझे चलेगा नहीं..

©Gaurav's write एक दुल्हन की डायरी से
#एकदुल्हन
#gaurav_iit 
#gauravswrite 
#nojotoquote 
#nojotopoetry 
#nojotohindi 
#hindipoetry
माँ की ममता की छांव में पली,
पापा की जैसी मैं गुड़ की ढली,
हर शाम आंगन में दिया बन के जली,
मुझे कहीं जाना तो नही था माँ,
फिर क्यूं मैं हूँ तेरा घर छोड़ चली।
कभी बहिनो से लड़ाई तो कभी उनसे प्यार,
नहीं रहेगा क्या ये सब,
क्या हो जाएगा ये उधार?
जो कभी माँ के हाथ का तकिया लगा के सोना,
मेरे कपड़ो में लगे अस्तर में धागे का पिरोना,
मेरी गलतियो पर मुझे सौ बार डांटना,
घर में बनी मिठाई सब में बराबर वांटना,
वो पापा का ऑफिस से लौट के आना,
खाने का भर के झोली साथ में लाना,
पापा, बचपन में मुझे वो कांधे पर उठाना,
पकड़ कर उंगली कदम दस साथ चलाना,
दिल से नेक बड़े सीधे जरूर थे वो,
मैं उठा के सर कहूं मेरे गुरुर थे वो,
हर बात लिख दूंगी स्याही रुके पर हाथ रुकेगा नहीं,
मैं किसी से कर तो लू शादी मगर
पापा से काम मुझे चलेगा नहीं..

©Gaurav's write एक दुल्हन की डायरी से
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