लेकर एक मचलती आतिश़ सीने में क्यूं बेफ़जूल जी रहे हो ? तौबा करो इस कातिल जहर से क्यूं नशीला धुआं पी रहे हो ? लिबास-ए-जिस्म हुई अता कायनात में ख़ुदा की खूब नेमत है 'हीरू' कुछ रहम करो सांसों की डोर से क्यूं जकड़कर मौत की चादर सी रहे हो ? © Rohit Mishra #saynotosmoking #NoSmoking #NoSmokingDay