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दीदार-ए-हालात कर मेरा, ग़ुरूर से वो हंसती है, दौलत

दीदार-ए-हालात कर मेरा,
ग़ुरूर से वो हंसती है,
दौलत की सेज पर,
अधकच्ची नींद सोती है,
मैं फ़कीर
पर ग़ुरबत-ए-अज़ीम भी तकल्लुफ नहीं देती है,
वो मल्लिका महल की,
मेरी कलम रुलाती है साहब
और
वो रोती है।।।
@ianilraj01 दीदार-ए-हालात कर मेरा,
ग़ुरूर से वो हंसती है,
दौलत की सेज पर,
अधकच्ची नींद सोती है,
मैं फ़कीर
पर ग़ुरबत-ए-अज़ीम भी तकल्लुफ नहीं देती है,
वो मल्लिका महल की,
मेरी कलम रुलाती है साहब
दीदार-ए-हालात कर मेरा,
ग़ुरूर से वो हंसती है,
दौलत की सेज पर,
अधकच्ची नींद सोती है,
मैं फ़कीर
पर ग़ुरबत-ए-अज़ीम भी तकल्लुफ नहीं देती है,
वो मल्लिका महल की,
मेरी कलम रुलाती है साहब
और
वो रोती है।।।
@ianilraj01 दीदार-ए-हालात कर मेरा,
ग़ुरूर से वो हंसती है,
दौलत की सेज पर,
अधकच्ची नींद सोती है,
मैं फ़कीर
पर ग़ुरबत-ए-अज़ीम भी तकल्लुफ नहीं देती है,
वो मल्लिका महल की,
मेरी कलम रुलाती है साहब