White अरे, देखो समझदार बन रहा हु मैं पहले किसी भी आघात से मायूस हो जाता था देखो अब हस रहा हु मैं पहले दिल लगा लिया करता था इंसानों से अब उनका दिमाग पढ़ रहा हु मैं देखो ना समझदार बन रहा हु मैं कभी दूसरों के सपनों के लिये जिया हूं अब खुद के सपने बुन रहा हूं मैं देखो ना समझदार बन रहा हु मैं ठोकरें भी जरूरी है संभलने के लिए लगता है अब संभल रहा हु मैं देखो ना समझदार बन रहा हु मैं ©Rajesh Sharma देखो ना समझदार बन रहा हूं # sad poetry hindi poetry on life