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आज सैकड़ों हिंदू मंदिर और विजय स्तंभ है जो सातवें

आज सैकड़ों हिंदू मंदिर और विजय स्तंभ है जो सातवें अजूबों मे सामिल होते।
राजस्थान एवं मेवाड़ की शान का प्रतीक चिन्ह चितौड़गढ़ के विजय स्तंभ का आश्चर्यजनक रचना की है 
ये स्तंभ भगवान विष्णु को समर्पित है । इसको राणा कुम्भा ने सन 1448 में महमूद खिलजी से युद्ध में जीतने के बाद उत्सव मनाने हेतु  बनाया था।
122 फीट ऊंचा, 9 मंजिला विजय स्तंभ भारतीय स्थापत्य कला की बारीक एवं सुन्दर कारीगरी का नायाब नमूना है, जो नीचे से चौड़ा, बीच में संकरा एवं ऊपर से पुनः चौड़ा डमरू के आकार का है। इसमें ऊपर तक जाने के लिए 157 सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। स्तम्भ का निर्माण महाराणा कुम्भा ने अपने समय के महान वास्तुशिल्पी मंडन के मार्गदर्शन में उनके बनाये नक़्शे के आधार पर करवाया।
आज सैकड़ों हिंदू मंदिर और विजय स्तंभ है जो सातवें अजूबों मे सामिल होते।
राजस्थान एवं मेवाड़ की शान का प्रतीक चिन्ह चितौड़गढ़ के विजय स्तंभ का आश्चर्यजनक रचना की है 
ये स्तंभ भगवान विष्णु को समर्पित है । इसको राणा कुम्भा ने सन 1448 में महमूद खिलजी से युद्ध में जीतने के बाद उत्सव मनाने हेतु  बनाया था।
122 फीट ऊंचा, 9 मंजिला विजय स्तंभ भारतीय स्थापत्य कला की बारीक एवं सुन्दर कारीगरी का नायाब नमूना है, जो नीचे से चौड़ा, बीच में संकरा एवं ऊपर से पुनः चौड़ा डमरू के आकार का है। इसमें ऊपर तक जाने के लिए 157 सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। स्तम्भ का निर्माण महाराणा कुम्भा ने अपने समय के महान वास्तुशिल्पी मंडन के मार्गदर्शन में उनके बनाये नक़्शे के आधार पर करवाया।