बरसेगा जो अबके रिमझिम सावन हम तन्हा अकेले भीग ना पाएँगे सावन के आँगन में झूले भी पड़ेंगे हम तन्हा अकेले झूल ना पाएँगे इस क़दर चाहा था तुम्हें कि मरकर भी अब हम तुमको भूल ना पाएँगे मोहब्बत में शिकस्त खाए हुए हैं बाज़ी जीतकर भी जीत ना पाएँगे ठीक नहीं किया हमसे फेरकर आँखें अब ख़ुद से भी आँख मिला ना पाएँगे.. कहते हैं प्यार दुबारा हो सकता है मगर शायद किसी से पहले सा जता ना पाएँगे ♥️ Challenge-980 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।