सातों सबद जू बाजते घरि घरि होते राग । ते मंदिर खाली परे बैसन लागे काग । कबीर जी कहते हैं कि जिन घरों में सप्त स्वर गूंजते थे, पल पल उत्सव मनाए जाते थे, वे घर भी अब खाली पड़े हैं – उन पर कौए बैठने लगे हैं,समय हमेशा तो एक सा नहीं रहता -जहां खुशियाँ थी वहां गम छा जाता है जहां हर्ष था वहां विषाद डेरा डाल सकता है – यह इस संसार में होता रहता है ! 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' हर्ष विषाद