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मुहब्बत कुछ इस कदर करो गिरे हुए को भी सीने से लग

मुहब्बत कुछ इस कदर करो
  गिरे हुए को भी सीने से लगा लिया करो
अरे वो जिश्म बेचती है तो क्या  हुआ,,2,,
होंगी उसकी भी कुछ मजबूरियां
वरना आजकल तो जिश्मो की नुमाइश प्यार बताकर खुले में करती है छोरिया,,
एक आशिक से पेट भरता नही उनका
प्यार के नाम पर जिश्मी सुख ढूंढती है....???

कवि आदित्य बजरंगी #आईना_जो_साच्च_बोलता है
मुहब्बत कुछ इस कदर करो
  गिरे हुए को भी सीने से लगा लिया करो
अरे वो जिश्म बेचती है तो क्या  हुआ,,2,,
होंगी उसकी भी कुछ मजबूरियां
वरना आजकल तो जिश्मो की नुमाइश प्यार बताकर खुले में करती है छोरिया,,
एक आशिक से पेट भरता नही उनका
प्यार के नाम पर जिश्मी सुख ढूंढती है....???

कवि आदित्य बजरंगी #आईना_जो_साच्च_बोलता है