हर परिचय शुभकामना हुआ दो गीत हुए सांत्वना बना बिजली कौंधी सो आंख लगीं अंधियारा फिर से और लगा पूरा जीवन आधा आधा तन घर में मन परदेश रहा... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #शिलालेख