जब हम बूढ़े होंगे जब हम बूढ़े होंगे ,घुटने मुडे होंगे चलना मुश्किल होगा, बैठे-बैठे सोचेगें, कि वो कहानी अच्छी थी, जवानी अच्छी थी आंखो पर चश्मा था, गालों पर लाली थी खुशियों के पिटारे थे, गमों के निपटारे थे खेलो में रूचि थी, मंडली जब जमती थी फरियादे ऊँची थी, खुशियाँ ही खुशियाँ थी। दोस्ती के हिस्से थे, उसके ही किस्से थे पैरों में जूते थे, नये कपड़ो के शौकीन थे कुल्फी के दीवाने थे, पकवानों के परवाने थे, वो दिन भी क्या दिन थे, जब हम जवां थे। नया जमाना आया है , साथ बुढ़ापा लाया है , हंसी को छुपाया है, एक बंधन लाया है जाना हो घुमने बाहर , सौ बार सोचते है बैसाखी साथी है, चलना अब मुश्किल है कि अब जवां कहाँ रहे?बूढे हम हो गये है। खाना नहीं भाता है, दांतों का जोड़ जो नहीं रहा दिखता अब धुंधला है ,मोतीये जो सो गये है , सिर के बाल उड गये, टोपी अब रखते है कंघी को साइड में रख, आईने पर चिडते है कि अब जवां नहीं, बूढ़े हम हो गये है, जब बूढ़े होंगे, घुटने मुडे होंगे चलना मुश्किल होगा ,बैठे-बैठे सोचेगें । ©kalm e kalyug जब हम बूढ़े होंगे ....... #special thanks to - dinesh Kumar mali I very inspire her this song and I try this song writing to my way 🤗😅 #ZeroDiscrimination