मैं प्यासा था समन्दर से मग़र मुँह मोड़ आया हूँ । जो मेरी ज़िन्दगी है उससे नाता तोड़ आया हूँ ।। वो मुझको छोड़ देता ये बहुत आसान था लेकिन । कलेजा देखिए मेरा मैं उसको छोड़ आया हूँ ।। रतन की कलम से,,, एक मतला और एक शेर