यदि जेएनयू के दर्द से सभी को फुर्सत मिल गई हो तो एक बार ऑस्ट्रेलिया में जंगल में भयंकर अग्नि में स्वाहा हुए निर्दोष, मूक जीवों पर भी दुःख व्यक्त करने के लिए समय निकालो। हमारा दर्द ------------- प्रकृति के उस दावानल में प्राण हमारे निकले गए चीखे दर्द व भय से हम। समस्त दिशाओं में अग्नि का साम्राज्य था हमें हो रहा था दिग्भ्रम। कम्पायमान हुए हृदय जिधर भागे उधर अग्नि थी वन सम्पूर्ण था व्याप्त। श्वास हो रही थी अवरुद्ध अग्निसुत धूम्र से कुछ ऐसा था आपात। पर यदि प्राप्त हो अवकाश आपको जेएनयू मुद्दे से तो अब इस मुद्दे पर आओ। बहुत किए हैं तर्क वितर्क बोले पक्ष विपक्ष में #jnu #jungle #fire #जीवन #poem #poetry #life यदि जेएनयू के दर्द से सभी को फुर्सत मिल गई हो तो एक बार ऑस्ट्रेलिया में जंगल में भयंकर अग्नि में स्वाहा हुए निर्दोष, मूक जीवों पर भी दुःख व्यक्त करने के लिए समय निकालो। हमारा दर्द ------------- प्रकृति के उस दावानल में प्राण हमारे निकले गए