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चारों तरफ है भय का आलम, अन्यायी पुरजोर हुआ।। न्य

चारों तरफ है भय का आलम,
अन्यायी पुरजोर हुआ।। 
न्याय की खातिर लड़ने वाला,
यारों साबित चोर हुआ।। 
रक्षा का दायित्व मिला, जिसे 
वही दरोगा जुर्म करे।। 
दोषी के संग हाथ मिलाकर,
सारे वही कु-कर्म करे।। 
बिकती आज यहाँ है वर्दी,
मंत्री ने दाम लगाया है।। 
मानव-मानव शत्रु बने,
मानवता-तरु कुम्हलाया है।। 

@poetryofsoul

©Shashank मणि Yadava "सनम"
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