मेरे हालात पर चढ़ा तुम्हें एक चादर बनना होगा मेरे आँखो में छिपा तुम्हें एक सागर बनना होगा बुतपरस्त बन कर आखिर कब तक रहोगे तुम उठो अब देश के लिए तुम्हें उजागर बनना होगा कब तक सहते रहोगे गलतियाँ उनकी देख कर तुम्हें ही एक उत्तम चरित्र का गागर बनना होगा दुनिया की मांग अमृत नहीं ज़हर सी हो गई आज उसके खातिर तुमको भी एक लागर बनना होगा तुम होश में कैसे पाओगे इंसानियत की जमीर को सबसे पहले तुमको ही यहाँ जागर बनना होगा।। लागर- बियर जागर- जागना Priya singh motivated thought for some changes