इश्क़ पाक था ये रंज कैसे पड़ गया, इतने खूबसूरत रिश्ते मे दाग़ कैसे पड़ गया... .. इत्मीनान से तो सभाल रखा था मैंने, एक ही झोंके मे, आशियाना कैसे उड़ गया... .. राब्ता तो रफ़्ता रफ़्ता ही ख़त्म होता है, ये पतंगे सा अपना रिश्ता कैसे जल गया... .. लगता नही था हिज़्र मेरे हिस्से आयेगा, या खुदा क्या सितम है, मैं पागल हो गया... .. ©kabir pankaj #meltingdown #Poetry #poem #Shayar #brockenheart