दूरदर्शी हम बहुत दूरदर्शी है उँगलियों से छूते है गर्जती बरसती बारिश की बूंदों को और अहसास ये मर्मस्पर्शी है। हम बहुत दूरदर्शी है शब्दों में है ज़माने की हक़ीक़त अपने सारे साए ख़ुदग़र्ज़ी है इसलिए चला रहे ज़िंदगी फ़र्ज़ी है। हम बहुत दूरदर्शी है धर्म खोया हमने भी पर लोभ नहीं आज मेरे बीच कुछ चेहरे फ़र्ज़ी है तभी मेरी सब तरफ मनमर्ज़ी है। तनहा शायर हु दूरदर्शी हम बहुत दूरदर्शी है उँगलियों से छूते है गर्जती बरसती बारिश की बूंदों को और अहसास ये मर्मस्पर्शी है। हम बहुत दूरदर्शी है