Nojoto: Largest Storytelling Platform

सिन्दूर अपने माथे पर सजाए, संध्या यूँ इठलाती है। द

सिन्दूर अपने माथे पर सजाए,
संध्या यूँ इठलाती है।
दिवस को करती है विदा,
और निशा में खो जाती है।

चंद्रमा का टीका माथे पर सजाए,
रजनी भी इठलाती है।
संध्या को करती है विदा,
और भोर में खो जाती है। #baat#vichaar#kathan#Nojoto
सिन्दूर अपने माथे पर सजाए,
संध्या यूँ इठलाती है।
दिवस को करती है विदा,
और निशा में खो जाती है।

चंद्रमा का टीका माथे पर सजाए,
रजनी भी इठलाती है।
संध्या को करती है विदा,
और भोर में खो जाती है। #baat#vichaar#kathan#Nojoto