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जिस राह पर हैं चल दिए, उस राह में काँटों से भरे रा

जिस राह पर हैं चल दिए,
उस राह में काँटों से भरे रास्ते,
काँटों को कुचलना ही पड़ा,
घर के वास्ते,
माना की है मुश्किलों के 
अम्बार बड़े
अम्बारों से घबराना क्या,
बस चल पड़े तो चल पड़े

पुरुष वर्ग को समर्पित


संकेत भारद्वाज

©Sanket 
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