#MessageOfTheDay मैं कार में बैठा बेकार नही, सोच रहा हूं, प्रकृति तेरा आकार नही, सब कुछ बिकता है, पर तेरा कोई व्यापार नही, रंग बिरंगे रूप सुनहरे, देता कोई इतना प्यार नही, पालन पोषण करने वाली,कोई करता इतना सत्कार नही, तूफानों से लडी सदा, पर मानी कभी भी हार नही, अपने पर आ जाए तो फिर,खाली तेरा वार नही, ममता में मां के जैसी,देता इतना कोई प्यार नही। ©Anand Prakash Nautiyal #कार#प्रकृति #Messageoftheday